केंद्र सरकार ने PMO का नाम बदला: अब “सेवा तीर्थ”, राज्य भवन होंगे “लोक भवन” और सचिवालय “कर्तव्य भवन”
सत्ता से सेवा की ओर—सार्वजनिक संस्थानों में बड़ा सांस्कृतिक बदलाव
देश की प्रशासनिक संरचना में एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) का नाम बदलकर “सेवा तीर्थ” करने की घोषणा की है। इसी के साथ देश भर में स्थित राज्य भवनों का नाम अब “लोक भवन” और केंद्रीय सचिवालय का नया नाम “कर्तव्य भवन” होगा।
सरकार का कहना है कि यह परिवर्तन केवल नाम-परिवर्तन नहीं, बल्कि प्रशासनिक सोच और दृष्टिकोण में एक सांस्कृतिक बदलाव का प्रतीक है।
‘सत्ता नहीं, सेवा’—प्रधानमंत्री कार्यालय का संदेश
प्रधानमंत्री कार्यालय ने अपने बयान में कहा कि देश की शासन प्रणाली अब सत्ता केंद्रित होने के बजाय सेवा-प्रधान दृष्टिकोण की ओर बढ़ रही है। “ये बदलाव प्रशासनिक नहीं, सांस्कृतिक हैं। हमारा लक्ष्य है कि संस्थान जनता के प्रति पूरी संवेदनशीलता के साथ काम करें। सत्ता से सेवा की ओर बढ़ना ही नई शासन-व्यवस्था की आत्मा है।”
‘लोक भवन’: राज्यों के प्रतिनिधित्व वाले केंद्र अब जनता के नाम पर
देशभर में मौजूद सभी राज्य भवन, जो दिल्ली में राज्यों का प्रतिनिधित्व करते हैं, अब लोक भवन कहलाएंगे। सरकार का मानना है कि इन भवनों का मूल उद्देश्य जनता की समस्याओं, योजनाओं और संवाद का केंद्र बनना है, इसलिए उनका नाम सीधे तौर पर जनता से जुड़ा होना चाहिए।
‘कर्तव्य भवन’—केंद्रीय सचिवालय का नया रूप
केंद्रीय प्रशासन के सबसे प्रमुख ढांचे, केंद्रीय सचिवालय, का नया नाम कर्तव्य भवन होगा। यह नाम अधिकारियों के लिए उनके कर्तव्यों और सेवाभाव का सतत स्मरण कराने का उद्देश्य रखता है।
सार्वजनिक संस्थानों में बड़े बदलाव की शुरुआत
इन तीन महत्वपूर्ण नाम परिवर्तनों को सरकार सार्वजनिक संस्थानों में होने वाले व्यापक सुधारों की श्रृंखला का हिस्सा बताती है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह बदलाव देश के प्रशासनिक चरित्र को नई परिभाषा देने की दिशा में एक बड़ा सांकेतिक कदम है।
सार
PMO → सेवा तीर्थ
राज्य भवन → लोक भवन
केंद्रीय सचिवालय → कर्तव्य भवन
उद्देश्य: सत्ता से सेवा, प्रशासन में सांस्कृतिक सुधार
यह पहल प्रशासन को अधिक मानवीय, संवेदनशील और जनता-केंद्रित बनाने की दिशा में सरकार के दृष्टिकोण को स्पष्ट रूप से दर्शाती है।










