भोपाल। मध्यप्रदेश विधानसभा के शीतकालीन सत्र के पहले ही दिन मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने प्रदेश सरकार के खिलाफ जोरदार और अनोखा विरोध प्रदर्शन दर्ज कराया। नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार के नेतृत्व में कांग्रेस विधायक दल ने बच्चों पर बढ़ते अत्याचार, दूषित कफ सिरप पीने से हुई मासूमों की मौत और स्वास्थ्य सेवाओं में सरकारी असंवेदनशीलता के मुद्दों पर विधानसभा परिसर को गरमा दिया।
🔥 विरोध का अनोखा अंदाज़: ‘पूतना’ और मासूमों के पुतले
कांग्रेस विधायकों ने अपने सांकेतिक प्रदर्शन से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार की कथित संवेदनहीनता को प्रतीकात्मक रूप से उजागर किया। इस दौरान, कई विधायक अपने साथ मासूम बच्चों के पुतले लेकर आए, जो सरकार की उपेक्षा के कारण जान गंवाने वाले बच्चों का प्रतिनिधित्व कर रहे थे।
विरोध का सबसे तीखा रूप तब दिखा जब एक कांग्रेस विधायिका ने ‘पूतना’ का गैटअप धारण किया। इस प्रतीकात्मक प्रदर्शन के माध्यम से यह दर्शाने का प्रयास किया गया कि भाजपा सरकार की नीतियाँ और स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही ही मासूमों के जीवन के लिए ‘खतरा’ या ‘पूतना’ बन चुकी है।
🗣️ नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार के तीखे बोल
इस मामले पर मीडिया को संबोधित करते हुए नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने सरकार पर गैर-संवेदनशील होने का आरोप लगाया। उन्होंने दुख व्यक्त करते हुए कहा:
“सरकार बच्चों के मामले में भी संवेदनशील नहीं है। छिंदवाड़ा में कई परिवारों के घरों के चिराग हमेशा के लिए बुझ गए, माताओं की गोद सूनी हो गई, लेकिन पूतना बनी सरकार को स्वास्थ्य विभाग की जिम्मेदारी और समीक्षा करने की फुर्सत तक नहीं है। अस्पतालों में ऐसी बदइंतज़ामी है कि बच्चों को चूहे तक कुतर दे रहे हैं, और सरकार इस पर चर्चा करने, जवाब देने और ज़िम्मेदारी तय करने से लगातार बच रही है।”
सिंघार ने ज़ोर देकर कहा कि यह केवल एक घटना नहीं, बल्कि प्रदेश में बच्चों की सुरक्षा, स्वास्थ्य व्यवस्थाओं की हालत और सरकार की प्राथमिकताओं पर एक गंभीर प्रश्नचिह्न है। उन्होंने मांग की कि जनता जानना चाहती है कि मासूमों की जान से खिलवाड़ होने पर भी सरकार खामोश क्यों है।
🚨 विपक्ष ने दी चेतावनी
कांग्रेस विधायकों ने स्पष्ट किया कि भाजपा सरकार की इस तरह की लापरवाही अब बर्दाश्त से बाहर है। उनका कहना था कि जब सवाल मासूमों के जीवन का हो, तो विपक्ष चुप नहीं बैठेगा और सदन के भीतर तथा बाहर, इन मुद्दों पर सरकार को जवाबदेह ठहराने के लिए संघर्ष जारी रखेगा। इस कड़े विरोध के कारण शीतकालीन सत्र के पहले दिन ही सदन के अंदर और बाहर गहमागहमी का माहौल रहा।










